गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) ने म्यूजिक इंडस्ट्री को देश में एक नया मुकाम दिया था। उन्होंने संगीत को हर घर तक पहुंचाया। दिल्ली के दरियागंज में जूस की दुकान लगाने से लेकर 'कैसेट किंग' बनने तक गुलशन कुमार ने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ देखा। एक छोटी सी दुकान में सस्ते कैसेट बेचने से शुरुआत की और T-Series के रूप में एक ऐसी म्यूजिक रिकॉर्ड कंपनी बनाई, जो आप सिरमौर है। 05 मई 1956 को पैदा हुए गुलशन कुमार की महज 41 साल की उम्र में हत्या (Gulshan Kumar Murder) कर दी गई थी। 12 अगस्त 1997 को मुंबई में मंदिर के बाहर उनके शरीर में अबू सलेम के गुर्गों ने 16 गोलियां दागीं। गुलशन कुमार चले गए। लेकिन इसके साथ ही उनका एक सपना भी अधूरा रह गया, जो अब उनकी आखिरी ख्वाहिश (Gulshan Kumar Last Wish) बनकर रह गई।गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) ने जूस की दुकान लगाने से लेकर 'कैसेट किंग' बनने तक अपनी जिंदगी में बहुत कुछ देखा। 05 मई 1956 को पैदा हुए गुलशन कुमार की हत्या (Gulshan Kumar Murder) कर दी गई थी। गुलशन कुमार चले गए। लेकिन इसके साथ ही उनका एक सपना भी अधूरा रह गया, जो अब उनकी आखिरी ख्वाहिश (Gulshan Kumar Last Wish) बनकर रह गई।

गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) ने म्यूजिक इंडस्ट्री को देश में एक नया मुकाम दिया था। उन्होंने संगीत को हर घर तक पहुंचाया। दिल्ली के दरियागंज में जूस की दुकान लगाने से लेकर 'कैसेट किंग' बनने तक गुलशन कुमार ने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ देखा। एक छोटी सी दुकान में सस्ते कैसेट बेचने से शुरुआत की और T-Series के रूप में एक ऐसी म्यूजिक रिकॉर्ड कंपनी बनाई, जो आप सिरमौर है। 05 मई 1956 को पैदा हुए गुलशन कुमार की महज 41 साल की उम्र में हत्या (Gulshan Kumar Murder) कर दी गई थी। 12 अगस्त 1997 को मुंबई में मंदिर के बाहर उनके शरीर में अबू सलेम के गुर्गों ने 16 गोलियां दागीं। गुलशन कुमार चले गए। लेकिन इसके साथ ही उनका एक सपना भी अधूरा रह गया, जो अब उनकी आखिरी ख्वाहिश (Gulshan Kumar Last Wish) बनकर रह गई।
गुलशन कुमार के छोटे भाई हैं कृष्ण कुमार

गुलशन कुमार के पिता चंद्रभान कुमार दुआ बड़े दूरदर्शी थे। उनके दो बच्चे हुए- गुलशन कुमार और कृष्ण कुमार (Krishan Kumar)। चंद्रभान कुमार ऐसे पिता हुए, जिन्हें अपने बच्चों पर पूरा भरोसा था। यही कारण है कि जब गुलशन कुमार ने जूस की दुकान से अलग एक सस्ते कैसेट की दुकान खोलने का मन बनाया तो पिता एक पल भी इनकार नहीं किया। दोनों ही बेटों को चंद्रभान कुमार ने पूरी छूट दी, अपनी किस्मत खुद लिखने की। ऐसा हुआ भी। गुलशन कुमार न सिर्फ टी-सीरीज के मालिक बनकर उभरे, बल्कि अपने दौर में वह देश में सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाली शख्सियत भी बने।
गुलशन कुमार ने भाई के लिए देखा एक सपना

गुलशन कुमार जहां एक ओर सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे थे, वहीं उनके छोटे भाई कृष्ण कुमार भी हर पल भाई के साथ थे। 1983 में गुलशन कुमार ने टी-सीरीज की शुरुआत की। शुरुआत सस्ते कैसेट्स और पुराने गानों से हुई। लेकिन 1988 में 'कयामत से कयामत' तक की सफलता ने टी-सीरीज का नाम रौशन किया। 1990 में जब 'आशिकी' के गाने आए तो गुलशन कुमार का नाम हर घर की सेल्फ पर सजने लगा। गुलशन कुमार का नाम फिल्मी दुनिया में चमकने लगा। वह फिल्में प्रड्यूस करने लगे और यही वह दौर था, जब उन्होंने एक सपना देखा।
शुरू हुई भाई के बॉलिवुड डेब्यू की तैयारी

गुलशन कुमार के भाई कृष्ण कुमार ऐक्टर बनना चाहते थे। गुलशन कुमार ने भी भाई को सुपरस्टार बनाने का सपना देखा। तैयारी शुरू हुई। केतन आनंद के डायरेक्शन में कृष्ण कुमार को लॉन्च किया गया। गुलशन कुमार ने फिल्म 'आजा मेरी जान' से भाई को बॉलिवुड में डेब्यू करवाया। फिल्म में शम्मी कपूर, प्राण, प्रेम चोपड़ा और देवेन वर्मा जैसे दिग्गज भी थे। लेकिन फिल्म पिट गई।
एक ही साल में रिलीज हुईं कृष्ण कुमार की तीन फिल्में

साल 1993 में कृष्ण कुमार की तीन फिल्में रिलीज हुईं- 'आजा मेरी जान', 'कसम तेरी कसम' और 'शबनम' ये तीनों ही फिल्में बुरी तरह फ्लॉप हुईं। गुलशन कुमार समझ गए थे कि सीधी अंगुली से घी नहीं निकलने वाला। इसलिए उन्होंने फिर वो किया, जिसके लिए वह मशहूर थे। जरूरत थी एक म्यूजिकल ब्लॉकबस्टर की। निखिल-विनय, अमर उत्पल, मिलिंद सागर और राजू सिंह सरीखे दिग्गज म्यूजिशियंस को इक्ट्ठा किया गया। गुलशन कुमार ने इस बार डायरेक्शन और प्रोडक्शन दोनों की कमाल संभाली। कृष्ण कुमार के साथ शिल्पा शिरोडकर की जोड़ी बनाई गई और 'बेवफा सनम' की तैयारी शुरू हुई।
ब्लॉकबस्टर साबित हुई 'बेवफा सनम'

साल 1995 में रिलीज 'बेवफा सनम' (Bewafa Sanam) कृष्ण कुमार के छोटे से ऐक्टिंग करियर की सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई। यह फिल्म म्यूजिकल ब्लॉकबस्टर बनी। 'दिल तोड़ के हंसती हो मेरा' को उदित नारायण ने गाया। 'अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का', 'तेरी गली विच', 'ये धोखे प्यार के धोखे' और 'इश्क में हम तुम्हें क्या बताए' को सोनू निगम ने आवाज दी। 'बेवफा सनम' की रिलीज से पहले ही इस फिल्म के गाने बाजार में छा गए। हर ओर दर्द में डूबे आशिकों के लिए यह एलबम एंथम बन गया। गानों की वजह से भीड़ सिनेमाघर पहुंची। गुलशन कुमार ने वो कर दिखाया, जो वह चाहते थे।
सारा मजमा लूटकर ले गए गाने और सोनू निगम

'बेवफा सनम' की सफलता में एक दिलचस्प चीज हुई। इस फिल्म ने 22 साल के एक लड़के को स्टार बना दिया। सोनू निगम। जी हां, सोनू निगम तब महज 22 साल के थे, लेकिन फिल्म के गीतों में उनकी आवाज की गहराई ने हर किसी को डूबने पर मजबूर कर दिया। कुल मिलाकर, 'बेवफा सनम' ने कृष्ण कुमार की किस्मत तो नहीं चमकी, लेकिन सोनू निगम (Sonu Nigam) स्टार बन गए। फिल्म हिट होने के बाद भी कृष्ण कुमार के पास दूसरे डायरेक्टर-प्रड्यूसर के ऑफर नहीं आए। गुलशन कुमार समझ गए थे कि इस बार इससे भी बड़ा कुछ करने की जरूरत है। लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाए।
गुलशन की हत्या के बाद कृष्ण के कंधों पर जिम्मेदारियां

'बेवफा सनम' की रिलीज के दो साल बाद ही गुलशन कुमार की हत्या हो गई। गुलशन कुमार की मौत म्यूजिक इंडस्ट्री और बॉलिवुड के लिए एक गहरा धक्का था। जब गुलशन कुमार का निधन हुआ, तब उनके बेटे भूषण कुमार (Bhushan Kumar) महज 20 साल के थे। बेटी तुलसी (Tulsi Kumar) महज 11 साल की और छोटी बेटी खुशाली (Khushali Kumar) सिर्फ 9 साल की। T-Series का सारा दारोमदार भाई कृष्ण कुमार के कंधों पर आ गया। कृष्ण कुमार ने बिजनस पर ध्यान लगाना और भाई के बच्चों के लालन-पालन का जिम्मा उठाना ज्यादा जरूरी समझा और ऐक्टिंग से दूरी बना ली।
साल 2000 में आई थी बतौर ऐक्टर आखिरी फिल्म

हालांकि, साल 2000 में कृष्ण कुमार की एक और फिल्म 'पापा द ग्रेट' टी-सीरीज के बैनर तले ही रिलीज हुई। इस फिल्म में उनके साथ शत्रुघ्न सिन्हा और नगमा थीं। लेकिन यह फिल्म भी पिट गई। कृष्ण कुमार ने ऐक्टिंग छोड़ सारा ध्यान फिल्मों के प्रोडक्शन पर लगा दिया। और इस तरह कृष्ण कुमार का ऐक्टर बनने का सपना और अपने भाई को सुपरस्टार बनाने का गुलशन कुमार का सपना अधूरा रह गया।
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