ककरुआ में चल रहा सात दिवसीय संगीतमय भागवत सप्ताह
ग्राम ककरुआ में चल रहे भागवत सप्ताह में कथा वाचक ललिता शास्त्री श्रीधाम वृंदावन द्वारा प्रतिदिन कथावाचन किया जा रहा है। कथा में मंच संचालन पं. हेमंत दुबे द्वारा किया जा रहा है।
वहीं कथा के यजमान श्री किशन यादव हैं। कथा में तीसरे दिन कथावाचक ललिता शास्त्री ने दक्ष प्रजापति का सती द्वारा यज्ञ विध्वंस और शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनाई गई।
प्रजापति दक्ष ने अपनी राजधानी कनखल में एक विराट यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने अपने जमाई शिव और पुत्री सती को यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। शंकरजी के समझाने के बाद भी सती अपने पिता के उस यज्ञ में बिना बुलाए ही चली गई।
यज्ञस्थल में दक्ष प्रजापति ने सती और शंकरजी का घोर निरादर किया। अपमान न सह पाने के कारण सती ने तत्काल यज्ञस्थल में ही योगािग्न से स्वयं को भस्म कर दिया। सती की मृत्यु का समाचार पाकर भगवान शंकर ने वीरभद्र को उत्पन्न कर उसके द्वारा उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। वीरभद्र ने पूर्व में भगवान शिव का विरोध तथा उपहास करने वाले देवताओं तथा ऋषियों को यथायोग्य दंड देते हुए दक्ष प्रजापति का सिर भी काट डाला। बाद में ब्रह्मा के प्रार्थना किए जाने पर भगवान शंकर ने दक्ष प्रजापति को उसके सिर के बदले में बकरे का सिर प्रदान कर उसके यज्ञ को संपन्न करवाया। कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
करकरुआ गांव में चल रही संगीतमय कथा में मौजूद श्रद्धालु और कथा सुनाती साध्वी ललिता शास्त्री।
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