दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अब भले हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी फिल्में और उनका जानदार अभिनय हमेशा-हमेशा जिंदा रहने वाला है। 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे दिलीप कुमार पहले युसूफ खान के नाम से जाने जाते थे। बॉलिवुड में दिलीप कुमार को ट्रैजिडी किंग का नाम दिया गया, वह इसलिए कि दुखद भूमिकाओं को उनसे बेहतर पर्दे पर शायद ही कोई जी सके। एक ऐसी ही फिल्म थी 'मशाल' जो साल 1984 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म का एक वीडियो इस वक्त इंटरनेट पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने अपनी बेबसी को कुछ इस तरह कैमरे के सामने जीया है कि आज भी इसे देखकर आंसू बह निकलेंगे। करीब 5 मिनट का यह सीन यह बताने के लिए काफी है कि आखिर क्यों वह बॉलिवुड के सुपरस्टार और 'ट्रैजिडी किंग' कहे जाते थे। इस फिल्म में दिलीप कुमार (विनोद कुमार) नामक शख्स की भूमिका में है जो बेहद ईमानदार है और 'मशाल' नाम से एक न्यूजपेपर चलाता है। विनोद अपने इस अखबार के जरिए समाज की बुराइयों को सामने लाता है। विनोद की वाइफ सुधा (वहीदा रहमान) को सड़कों पर भटकता राजा (अनिल कपूर) मिलता है। सुधा अनिल को अच्छे संस्कार देना चाहती हैं। विनोद को उसपर शक रहता है, लेकिन उस वक्त विनोद का भी मन पिघल जाता है जब राजा अपने दुख भरे बचपन की कहानी सुनाते हुए रो पड़ता है और कहता है कि सुधा में उसे अपनी मां झलकती है। आखिरकार विनोद उसे पढ़ाने-लिखाने और एक अच्छा काबिल इंसान बनाने का फैसला लेता है। विनोद (दिलीप कुमार) उन्हें (अनिल कुमार) को पढ़ाई के लिए बेंगलुरु भेजता है, जिसके बाद वह जर्नलिस्ट बनता है। इधर विनोद की प्रफेशनल लाइफ में कुछ ऐसा होता है, जिसके बाद उनकी पर्सनल लाइफ तबाह हो जाती है। शहर में एस.के. वर्धन (अमरीश पुरी) के काले कारनामों का खुलासा विनोद अपने अखबार के जरिए करने लगता है। पहले तो एस.के. वर्धन उसे खरीदना चाहता है, जो संभव नहीं हो पाता। आखिरकार, अपने दबंगई से एस.के. वर्धन विनोद को बर्बाद करने की साजिश रचता है। पहले तो उसे मकान मालिक के जरिए घर से बाहर निकालता है और उसी रात अखबार के ऑफिस में आग लगा दी जाती है। लाचार विनोद अपनी वाइफ सुधा के साथ आधी रात को सड़क पर भटकते दिखते हैं। दुख का अंत यहीं नहीं होता बल्कि विनोद की पत्नी सुधा जो कि बीमार चल रही थी, उसका निधन उसी रात सड़क पर हो जाता है। यह सीन इसी मौके का है जब दिलीप कुमार यानी विनोद तड़पती हुई बीमार पत्नी के लिए मदद के लिए चीखते नजर आ रहे हैं। कभी वह सड़क पर आती-जाती गाड़ियों के सामने खड़े हो जाते हैं तो कभी अपनी पत्नी सुधा को बाहों में भर लेते हैं। सुनसान सड़क पर मदद के लिए लगातार वह चीखते रहते हैं। गुस्से में पत्थर उठाकर वह वहां के घरों की खिड़कियों पर भी मारते हैं लेकिन कोई उनकी मदद करने के लिए बाहर नहीं आता। बताया जाता है कि इस सीन को करने से पहले उन्हें चार दिन प्रैक्टिस करनी पड़ी थी। दरअसल दिलीप कुमार अपने काम को लेकर बेहद सीरियस होते थे, उन्हें किसी भी सीन में कोई चूक बिल्कुल पसंद नहीं था। फिल्म के इस सीन में दिलीप कुमार ऐक्टिंग करते नहीं बल्कि इसे जीते हुए नजर आ रहे हैं, बिल्कुल ऐसे जैसे वाकई किसी शख्स पर चारों तरफ से एकसाथ दुख का पहाड़ टूट पड़ा हो और एक कोने में मौजूद किसी कैमरे में ये सब कैद हो गया हो। बताते चलें कि मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) का बुधवार 7 जुलाई 2021 की सुबह उनका निधन () हो गया। 98 साल के दिलीप कुमार पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे।
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