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Sunday, April 5, 2020

पूरा शहर हो गुमाश्ता नगर, खजराना जैसा लॉक; कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए रहवासी घरों में हुए बंद

(रिपाेर्ट -1-कंटेनमेंट एरिया से-मैं गौरव शर्मा। खतरों के बीच पत्रकारिता धर्म निभा रहा हूं। क्योंकि मेरे परिवार के साथ भास्कर के लाखों पाठकों को भी आज मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है।)

गुमाश्ता नगर क्षेत्रयहां एंट्री लेते ही थोड़ी दूरी पर नवरत्न गैलेक्सी। इस कॉम्प्लेक्स में 16 परिवार रहते हैं। इसके मेन गेट पर लगा है ताला। जिस दिन से लॉकडाउन हुआ, उसी दिन से कोई भी व्यक्ति बाहर नहीं निकला। दूध देने आने वाले व्यक्ति भी बाहर से ही दे रहे हैं। कॉम्प्लेक्स में रहने वाले संदीप जैन, मोनू नीमा, मनोज माहेश्वरी का कहना है कॉम्प्लेक्स के गेट का ताला लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही खुलेगा। सुरक्षा के लिए ये जरूरी है। गुमाश्ता नगर में ही रहने वाले एक अन्य परिवार के सदस्य उमेश सोमानी अौर डॉ. भावना सोमानी कहती हैं इस क्षेत्र के लोगों ने लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन किया। उन्होंने कहा बीच में हमको भी दो दिन दूध की परेशानी आई लेकिन हम बाहर नहीं गए क्योंकि कोरोना से लड़ाई के लिए सबसे जरूरी है कि अभी हमको घर से ही नहीं निकलना है। इस क्षेत्र के दरवाजे सिर्फ दूध लेने के लिए खुलते हैं। उसमें भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। दूध की थैलियों को सर्फ के पानी में रखते, फिर धोते हैं। इसी घर से थोड़े आगे रामस्वरूप मूंदड़ा का घर है, उन्होंने कहा कुछ दूरी पर हमारे भाई रहते हैं। पिछले कई दिन से हम सभी आपस में फोन पर ही बात कर रहे हैं। क्षेत्र में एक कोरोना पॉजिटिव केस आया था, उसके बाद से लोग अौर सतर्क हो गए। सब्जी तक बंद कर रखी है। ज्यादातर घरों के ताले सिर्फ दूध लेने के लिए ही खुलते हैं।

खजराना क्षेत्र। कोरोना के ज्यादातर मरीज यहीं से। एक ही परिवार के 13 लोग पॉजिटिव भी आए। वैसे तो रिंग रोड से खजराना की ओर जाने वाले रास्ते को ही पुलिस ने बंद कर रखा है। अब खजराना क्षेत्र के साथ ही गलियों को भी सील कर दिया है। खजराना की ओर जब आगे बढ़ेंगे तो एक ओर तंजीम नगर, दूसरी ओर अशफाकनगर जाने वाली गली है। इन दोनों गलियों को भी पुलिस ने पूरी तरह से प्रतिबंधित क्षेत्र कर रखा है। यहीं कोने पर नगर सुरक्षा समिति के सदस्य भी बैठे मिले। माइक से बार-बार अनाउंस हो रहा था, कोई घरों से बाहर नहीं निकले। खजराना क्षेत्र की रहने वाली मुमताज बी कहती हैं कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद अब लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं। पहले लोग आवाजाही करते थे लेकिन अब नहीं। हम तो अब घर के दरवाजे भी पार नहीं कर रहे हैं। इसी घर से कुछ आगे बढ़ने पर मो. हुसैन का घर, उन्होंने कहा मेडिकल टीम हमारे लिए बहुत कुछ कर रही है। इनका पहले कुछ विरोध होता था लेकिन अब नहीं, क्योंकि ये जान की बाजी लगाकर हमारी अौर परिवार की जान बचाने में लगे हुए हैं। शफी शेख और फिरदौस खान का कहना है हम घर पर ही हैं अौर सुरक्षित भी तभी रहेंगे। कुछ परिवारों को खाने-पीने की परेशानी जरूर आ रही है लेकिन ये उतनी बड़ी नहीं है क्योंकि अभी कोरोना को हराना सबसे जरूरी है। इसके लिए हम सभी एकजुट हैं, घरों में ही हैं।

(रिपाेर्ट -2-संवेदनशील इलाकों से-मैं राघवेंद्र बाबा। खतरों के बीच पत्रकारिता धर्म निभा रहा हूं। क्योंकि मेरे परिवार के साथ भास्कर के लाखों पाठकों को भी आज मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है।)

कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए रहवासी घरों में हुए बंद

इंदौर मेंधर्मगुरुओं की अपील के बाद शनिवार को शहर के उन संवेदनशील इलाकों में पहुंचे, जहां कोरोना का प्रभाव ज्यादा होने की आशंका है। सिकंदराबाद, भिश्ती मोहल्ला, मदीना नगर और सिलावटपुरा में अब कड़ा अनुशासन दिखने लगा है। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लोग अब घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। दोपहर 12.30 बजे खजराना क्षेत्र में कर्फ्यू का असर साफ दिखाई दिया। सिर्फ इक्का-दुक्का लोग ही बाहर दिख रहे थे। वे भी मेडिकल पर जरूरी दवाएं खरीदने के लिए बाहर आए थे। यहां से मदीना नगर और आजाद नगर की ओर पहुंचे। यहां भी सड़कें और गलियां सुनसान दिख रही थीं। घरों के दरवाजे बंद थे। यहां से भंवरकुआं होते हुए मोती तबेला की तरफ पहुंचे। कुछ स्थानों पर पुलिस के जवान मुस्तैदी से घूम रहे थे। एक-दो लोग बाहर निकले तो बोले दवाई लेने मेडिकल पर जाना है।

तस्वीर सिलावटपुरा की। शनिवार को दिनभर यहां सड़कें सूनी रहीं, रहवासी घरों में रहे। सख्त लॉकडाउन दिखा।

बंबई बाजार में भी दिखा कर्फ्यू का असर, सड़कें सुनसान
बंबई बाजार पहुंचे तो गलियों में कोई भी नजर नहीं आ रहा था। यहां से बड़वाली चौकी पहुंचे तो इक्का-दुक्का युवक बाहर नजर आए, लेकिन सभी के चेहरे पर मास्क लगा था। दोपहर 2 बजे सदर बाजार थाने के सामने सिकंदराबाद कॉलोनी में जैसे ही पहुंचे तो वहां बाइक पर एक युवक नजर आया। पूछने पर कहा मवेशी को रोटी डालने बाहर निकला हूं। चेहरे पर मास्क लगाए युवक ने कहा, अब तभी बाहर निकलेंगे, जब कोरोना पूरी तरह खत्म हो जाएगा। सिलावटपुरा में ये आलम था कि घरों की खिड़किया तक लोगों ने बंद कर रखी थीं।

छिंदवाड़ा मेंहुआ अंतिम संस्कार; मां, पत्नी और बच्चे इंदौर में क्वारेंटाइन

कोरोना पॉजिटिव वाणिज्यिक कर विभाग के आईटी ऑपरेटर किशनलाल इन्वाती का छिंदवाड़ा में निधन हो गया। परिवार में मां, पत्नी और दो बच्चे इंदौर में ही गुमाश्तानगर स्थित सेल्स टैक्स कॉलोनी में रहते हैं। निधन की खबर आने के बाद परिजन अंतिम संस्कार में जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इन्वाती के सबसे करीबी होने के चलते उन्हें भी क्वारेंटाइन में रहना जरूरी था। प्रशासन ने क्षेत्र के 14-15 क्वार्टर को होम क्वारेंटाइन कर दिया। इन्वाती के पिता भी छिंदवाड़ा मंे पॉजिटिव मिले हैं और भर्ती हैं। वाणिज्यिक कर िवभाग के दवा बाजार के पास स्थित चेतक चैंबर दफ्तर में पांच दिन में तीसरा कर्मचारी पॉजिटिव आया है। यह दूसरी मौत है। इसके पहले एंटी एवेजन विंग में पदस्थ बाबू करण सिंह का भी निधन हो गया है।

कुछ दिन पहले ही पिता का इंतकाल, पत्नी व अन्य परिजन भी क्वारेंटाइन

इंदौर मेंशनिवार को जिस मरीज की मौत हुई है, उसका सैंपल कोरोना संक्रमण की जांच के लिए 28 मार्च को लिया गया था। 30 मार्च को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीज को एमवायएच के चेस्ट वार्ड में भर्ती किया गया। मरीज ने शनिवार सुबह 6.45 बजे दम तोड़ा। उसका शव ले जाने के लिए उसका कोई अपना उसके पास मौजूद नहीं था। स्टाफ ने प्रोटाेकॉल के तहत बॉडी को पैक कर रखवा दिया। कुछ दिन पहले ही उसके पिता का इंतकाल हुआ था। वहीं बुधवार को जारी रिपोर्ट में उसकी बेटी सहित परिवार के अन्य लोग भी संक्रमित पाए गए। पत्नी सहित अन्य लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है। बच्चे अपने पिता को आखिरी बार भी नहीं देख सके। एम्बुलेंस भी काफी देर तक शव को लेकर अस्पताल में खड़ी रही।

यहां लापरवाही : संक्रमित मरीज घर चली गई, स्वास्थ्य विभाग को जानकारी ही नहीं

इंदौर मेंचंदन नगर की जिस 80 वर्षीय महिला की मौत हो गई, उसके बारे में किसी को जानकारी ही नहीं थी। 30 मार्च को एमवायएच की ओपीडी में कोरोना संक्रमण की जांच का सैंपल देने के बाद उसे आइसोलेशन वाले अस्पताल जाने के लिए कहा गया था लेकिन वह घर चली गई। 2 अप्रैल की रात जब सैंपल पॉजिटिव मिला तब जाकर होश उड़े। परिजन को क्वारेंटाइन किया गया। हालांकि गुरुवार दोपहर 3 बजे तक यह तय नहीं हो पा रहा था कि महिला की मौत कब हुई। एमजीएम कॉलेज प्रशासन का कहना है कि मौत 30 मार्च काे हुई थी, जबकि सीएमएचओ कार्यालय में बताया गया कि मौत 2 अप्रैल को हो चुकी थी।



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