सुनील सिंह बघेल.दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाय) के तहत देशभर में लगभग 44 हजार हेल्थ वर्कर तैयार किए गए हैं। कोरोना संकट के दौरान इनकी सेवाएं लेकर,हेल्थ वर्करों की कमी से निपटने में बड़ी मदद मिल सकती है।इन हेल्थ वर्कर रूम में ब्लड बैंक,डायलिसिस लैब टेक्नीशियन, जनरल हेल्थ मैनेजमेंट आदि की ट्रेनिंग प्राप्त युवा शामिल है।केंद्र सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा पिछले कुछ सालों से चलाई जा रही योजना के तहत बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के हेल्थ वर्करों को भी ट्रेनिंग दी गई है। ऐसी ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं में मध्यप्रदेश के भी लगभग 16 हजार युवा शामिल हैं। इनमें से एक बड़ी संख्या उन हेल्थ वर्कर की भी है जिनके पास फिलहाल रोजगार नहीं है।
प्रदेश के अधिकांश जिलों में ऐसी ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं की संख्या 50 से लेकर 200 तक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर इनकी सेवाएं लेने की सलाह दी है। प्रदेश के कई निजी और सरकारी अस्पतालों में जीवन रक्षक डायलिसिस, ब्लड प्रेशर, ड्रिप लगाने जैसी सामान्य सेवाएं भी वर्कर की कमी से प्रभावित हुई है। केंद्र सरकार की सूची से ऐसे लोगों की सेवाएं लेकर, छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में संदिग्ध मरीजों की पहचान और जागरूकता में बड़ी मदद ली जा सकती है। ऐसे ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं में एक बड़ीसंख्या ब्लड बैंक, लैब टेक्नीशियन, जनरल हेल्थ मैनेजमेंट की ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं की भी है।
कुछ हेल्थ वर्कर को डायलिसिस, रेडियोलोजी की भी ट्रेनिंग दी गई है जो कोरोना के अतिरिक्त दूसरी स्वास्थ्य सेवाओं में मददगार साबित हो सकती है। इंदौर और आसपास ऐसी हेल्थ वर्कर की ट्रेनिंग प्राप्त युवाओं की संख्या भी करीब 200 है। केंद्र सरकार की वेबसाइट पर इन सब की मोबाइल नंबर व दूसरी जानकारी भी मौजूद है।
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