हम इष्ट देव से जो भी मांगे प्रसाद के रूप में मांगना चाहिए। दान भी दें तो प्रसाद के रूप में देना, धन के रूप में मत देना। मुझे मकान आदि भौतिक व सांसारिक सुख सुविधा जो भी देना है वह प्रसाद के रूप में प्राप्त हो। प्रसाद वह चीज है जिसका आनंद सबको बांट कर लिया जाता है। इससे यदि किसी को कुछ भी आवश्यकता हो तो वह प्रसाद की भाती तनिक भी संकोच नहीं करते हुए उसका सही उपयोग कर सकते हैं। प्रसाद के रूप में प्राप्त हुआ धन मेरे लिए नहीं बस अपने काम आएगा।
यह बातें इलाई माता मंदिर प्रांगण भंवरा में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन वामन अवतार की कथा का वर्णन करते हुए कथा व्यास पंडित मोहित राम पाठक ने कहीं। भगवान बामन के जन्मोत्सव के समय का कहा जिस प्रकार भगवान भक्त के द्वार पधारे। यदि आज कलयुग में भी भक्त सच्ची श्रद्धा से ईश्वर को याद करें तो भगवान किसी न किसी रूप में उसके घर पधारते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। भक्त राज राजा बलि के यहां भगवान पधारे व बली को विराट रूप का दर्शन कराया व 2 पग में संपूर्ण संसार को नाप दिया। तीसरा पग भगवान ने भक्त के मस्तक पर विराजमान किया। जिससे राजा बलि की 21 पीढिय़ों का उद्धार हुआ। कथा आयोजक सिद्धेश्वर महादेव समिति भंवरा ने संपूर्ण क्षेत्र वासियों से पढ़ने का आग्रह किया। सभी लोग भागवत सुनने भागवत का आनंद लें और अपने जीवन को सफल बनाएं।
भंवरा में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा।
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