गुरु की महत्ता हमारे जीवन में अनुपम है क्योंकि गुरु के बिना हम जीवन का सार ही नहीं समझ सकते। हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए। गुरु के समक्ष चंचलता नहीं करनी चाहिए और सदा ही अल्पवासी होना चाहिए। जितनी आवश्यकता है उतना ही बोलें और जितना अधिक हो सके गुरु की वाणी का श्रवण करें। सुराना नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक पं. विजय शर्मा ने यह बात कही।
नर्मदा रोड स्थित सुराना नगर में काॅलोनिवासियों द्वारा सात दिनी श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथावाचक शर्मा ने कहा गुरु चरणों की सेवा का अवसर मिलना परम सौभाग्य होता है जो अनमोल है। मुझे भी ठाकुरजी की कृपा से गुरुसेवा का दायित्व मिला था लेकिन उस समय सेवाभाव का ज्ञान नहीं था और अब जब ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी है तो गुरुसेवा का अवसर नहीं है। इसके लिए गुरुसेवा को समर्पित भाव से करना और उनके आदेश का पालन सदा ही करना चाहिए। गुरु की महिमा अपार है और उनकी करूणा अद्भुत है। पंडित शर्मा ने कहा भागवत कथा श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन का मार्ग है। सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित से कहा कि हे परीक्षित सब को 7 दिन में ही मरना है। इस सृष्टि में आठवां दिन तो अलग से बना ही नहीं है। सब की मृत्यु सात दिन में ही होनी है और जो मनुष्य एक बार श्रीमद् भागवत की कथा श्रवण कर ले और उसे सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे भगवान की प्राप्ति हो जाती है। उसकी आत्मा के द्वार खुल जाते हैं। सैकड़ों महिला-पुरुष भागवत कथा में पहुंचे। आरती के बाद प्रसाद बांटा गया।
कथा सुनने आई महिलाएं।
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