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Saturday, August 21, 2021

रूमी जाफरी बोले- आज भी वो फाइल खोलता हूं तो सुशांत सिंह राजपूत का चेहरा दिखाई देता है

बॉलिवुड को अपनी कलम से 'कुली नं 1', 'बीवी नं 1' और 'हीरो नं 1' जैसी तमाम हिट फिल्में देने वाले राइटर-डायरेक्टर (Rumi Jaffery) इन दिनों चर्चा में हैं। उनकी फिल्‍म 'चेहरे' (Chehre) 27 अगस्‍त को रिलीज हो रही है। इस फिल्म से रूमी कई साल बाद निर्देशन में उतरे हैं। हालांकि, अमिताभ बच्चन () और इमरान हाशमी () जैसे कलाकारों के होते हुए भी यह फिल्म () को लेकर सुर्खियों में है। रूमी जाफरी, () के साथ भी फिल्‍म बनाने वाले थे। लेकिन अब उन्‍होंने फिलहाल उस फिल्‍म को ठंडे बस्‍ते में डाल दिया है। 'नवभारत टाइम्‍स' से खास बाचतीत में रूमी कहते हैं, 'मैं जब भी मैं वो फाइल खोलता था, मुझे सुशांत का चेहरा नजर आता था, इसलिए मैंने उस फाइल को रख दिया। अभी नहीं सोचा है कि कब बनाऊंगा, किसके साथ बनाऊंगा।' 'चेहरे' पिछले साल ही रिलीज होनी थी। कास्ट बदलने से लेकर रिलीज टलने तक, फिल्म ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। आप इस अनुभव को कैसे बयां करेंगे?हमने एक थ्रिलर फिल्म बनाई है, वही थ्रिलर हमारी जिंदगी में भी हो गया है। जैसे थ्रिलर में होता है कि लोग सोचते रहते हैं कि अब क्या होगा, वैसे ही हमें हमेशा यही लगता है कि अब क्या होगा, लेकिन अब लग रहा है कि इंशाअल्लाह पिक्चर रिलीज हो जाएगी। आपने 9 साल बाद दोबारा निर्देशन की कमान संभाली है। इस लंबे इस गैप की क्या वजह रही?इसकी वजह ये रही कि मैंने सारी जिंदगी कॉमिडी, रोमांटिक कॉमिडी लिखी, लेकिन वही सब लिख-लिखकर मुझे मजा नहीं आ रहा था। मैं चाहता था कि कुछ नया, कुछ अलग करूं, पर कोई मेरा साथ नहीं दे रहा था। मेरे प्रड्यूसर-डायरेक्टर सब बोलते थे कि नहीं, रूमी भाई, सब वही चाहते हैं, वही बीवी नंबर 1, वही साजन चले ससुराल, तो मैंने कहा कि मुझे वो नहीं करना है। मैं थिएटर का आदमी हूं, मेरा लिट्रेटी बैकग्राउंड है, मैं कुछ नया करना चाहता हूं, पर सब सेफ खेलना चाहते हैं न, कि रूमी भाई, वही चलता है, तो आप वही करो, पर मैं भी जिद पर अड़ा रहा। इसलिए, मुझे इतने दिन बिना काम के बैठना पड़ा। फिर, अमित जी (अमिताभ बच्चन) ने मेरा साथ दिया, उन्होंने कहा कि तुम जो बनाना चाहता हो बनाओ। तब ये फिल्म बन पाई। मैंने बड़ी जिद करके, इतने दिन बेरोजगार रहकर ये फिल्म बनाई है, तो मैं पहली बार नर्वस भी हूं और दुआ कर रहा हूं कि ये फिल्म चल गई, तो मैंने बड़ी अलग विषय वाली कहानियां लिखकर रखी हैं, वह सब बनाऊंगा। अमिताभ बच्चन के साथ आपने बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म 'गॉड तुस्सी ग्रेट हो' बनाई थी। इतने साल बाद उन्हें डायरेक्ट करने का अनुभव कैसा रहा? उनमें अब क्या अंतर पाया?अमित जी के साथ ये मेरी चौथी फिल्म है, दो राइटर के तौर पर, दो डायरेक्टर के तौर पर। पहली बार हमने अमित जी के साथ बड़े मियां छोटे मियां की थी। ये तो सबको पता है कि अमित जी बड़े अनुशासित कलाकार हैं। उनका ऐक्टिंग को लेकर जज्बा कमाल का है, लेकिन मैं बोलता हूं कि जैसे सोना तपकर कुंदन हो जाता है, अमित जी उम्र के साथ और ज्यादा बेहतर होते जा रहे हैं। उनमें किसी यंगस्टर जैसा ही जोश और जुनून है। वे पहले से और ज्यादा एनर्जी के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन सेट पर वह कभी महसूस तक नहीं होने देते कि आप इतने बड़े लेजेंडरी कलाकार के साथ काम कर रहे हैं। वे राइटर-डायरेक्टर के काम में जरा भी दखल नहीं देते। आपने ये फिल्म जिस जज्बे के साथ बनाई है, आपको लगता है कि मौजूदा स्थिति में इसे थिएटर में लाना सही फैसला है?देखिए, जो चीज अपने हाथ में नहीं है, उसके लिए हम कुछ कर नहीं सकते। हम दुआ ही मांग सकते हैं। वैसे भी, लोगों की हेल्थ के लिए, देश के लिए, इस महामारी का जाना बहुत जरूरी है। धीरे-धीरे हालात ठीक हो रहे हैं। वैक्सीन भी लग गई हैं। थिएटर भी खुलते जा रहे हैं, उम्मीद है कि महाराष्ट्र में भी खुल जाएंगे और पहले की तरह सामान्य अच्छे दिन लौट आएंगे। चेहरे में अमिताभ बच्चन, इमरान हाशमी जैसे कलाकार होते हुए भी इसकी ज्यादा चर्चा रिया चक्रवर्ती की वजह से हो रही है। आप इस बात से खुश हैं या नाखुश?देखिए, रिया मेरी फिल्म में है, ये सही है, पर ये जो चर्चा हुई है, वह सही वजह से नहीं हुई है। ये एक तरह से नेगेटिव पब्लिसिटी है। हमारी फिल्म ये सब हादसा (सुशांत सिंह राजपूत का निधन) होने से पहले खत्म हो चुकी थी। पिछले साल फिल्म रिलीज होने वाली थी, तो जैसी चर्चा रिया को लेकर फिल्म की हुई है, वैसी नेगेटिव पब्लिसिटी न मैं चाहता था, न मैं चाहता हूं। ये मुझे अच्छा नहीं लगा। किसी ने कहा कि रिया का रोल काट दिया, उसे निकाल दिया, ये अफवाहें भी उड़ी, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। हमारी फिल्म तो पिछले साल अप्रैल में रिलीज होनी थी। फरवरी में ही एडिट पूरा हो चुका था, तो न उसका रोल बढ़ाया है, न घटाया है। रिया ने फिल्म में बहुत अच्छा काम किया है। मेरा मानना है कि हम जजमेंट आने से पहले अपना जजमेंट कैसे दे सकते हैं। ये तो कोर्ट तय करेगी कि कौन गुनहगार है, कौन नहीं। फिल्म में अमित जी का डायलॉग है, जो बहुत फेमस हुआ कि हमारी अदालतों में जस्टिस नहीं, जजमेंट होता है। इंसाफ नहीं, फैसला होता है, तो जो फैसला होगा, कोर्ट का होगा। हमने एक फिल्म बनाई, उसमें एक आर्टिस्ट है, रिया चक्रवर्ती। बाकी चीजों से हमें कोई मतलब नहीं है। आप दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत को लेकर भी एक फिल्म बनाने वाले थे। उसका आगे क्या प्लान है?वह तो मैं अभी नहीं बना रहा हूं। सुशांत के जाने के बाद वो फाइल मैंने रख दी। कई प्रड्यूसर और कई ऐक्टर्स के मैनेजर ने मुझे अप्रोच किया कि सुशांत वाली फिल्म का क्या विषय है, हमें बताओ। इंडस्ट्री में सब जानते हैं कि सुशांत फिल्म चुनने के मामले में बहुत चूजी था तो उसने वह फिल्म चुनी थी, तो सब्जेक्ट कमाल का ही होगा, पर जब भी मैं वो फाइल खोलता था, मुझे सुशांत का चेहरा नजर आता था, क्योंकि उसने मेरे घर पर बैठकर कई बार उसकी रीडिंग की थी, इसलिए मैंने उसको रख दिया। अभी नहीं सोचा है कि कब बनाऊंगा, किसके साथ बनाऊंगा।


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