कहानी 'हसीन दिलरूबा' () की कहानी के केंद्र में रानी है। रानी () एक खूबसूरत, हसीन और जवान लड़की है। उसे क्राइम और थ्रिलर पसंद है। खूब उपन्यास पढ़ती है। रानी पर अपने ही पति () के कत्ल का इल्जाम है। लेकिन जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ती है। रानी की शादीशुदा जिंदगी के राज भी खुलते जाते हैं। खून का यह मामला उलझता जाता है। अब तक जो केस पुलिस को 'ओपन एंड शट' लग रहा था, उसकी पेचीदगियों में जांच भी उलझती है और रानी का एक गैर मर्द के साथ अफेयर का किस्सा भी। समीक्षा रानी () को ऐक्शन और थ्रिलर पसंद है। लेकिन उसकी शादीशुदा जिंदगी से ज्यादा ऐक्शन उसे अपराध की कहानियों पर बुने गए उपन्यासों में समझ आता है। वह क्राइम-थ्रिलर की बड़ी फैन है। रानी का अपना एक बीता हुआ कल है। वह खूबसूरत है, मोहने की कला जानती है और बीते कल में उसके कई अफेयर भी रहे हैं। दूसरी ओर, उसका पति रिशु () एक 'गुड बॉय' है। वह सिर से पैर तक अच्छा बच्चा है। उसकी जिंदगी बेहद सिंपल रही है। रानी को अपनी इस शादीशुदा जिंदगी से जल्द ही ऊबन होने लगती है। उसे ऐक्शन चाहिए, रोमांच चाहिए। लेकिन तभी उसकी जिंदगी बदल जाती है। रिशु के एक दोस्त जैसे भाई की कहानी में एंट्री होती है। इसका नाम नील (हर्षवर्धन राणे) है। वह गठीला बदन वाला बैड बॉय है। वह कुछ दिनों के लिए रिशु और रानी के घर रहने आता है। डायरेक्टर विनिल मैथ्यू (Vinil Mathew) और फिल्म की कहानी लिखने वाली कनिका ढिल्लन (), 2 घंटे 15 मिनट में हमें रानी और रिशु की अलग-अलग दुनिया में ले जाते हैं। इसमें एक छोटे से शहर की सादगी है और साथ ही है आने वाले तूफान की एक आहट। कहने की जरूरत नहीं है, कहानी अपनी शुरुआत से ही माहौल बनाने में कामयाब होती है। इस माहौल में अनहोनी का डर है, रोमांच के साथ-साथ चिंता और तनाव की डोर भी है। फिल्म की कहानी बतौर दर्शक आपको बांधकर रखती है। आपका मनोरंजन भी करती है और कई मौकों पर आप यह अनुमान नहीं लगा पाते हैं कि आगे क्या होने वाला है। पर्दे पर हम फिल्म के लीड किरदारों को अपनी-अपनी कहानी के साथ आगे बढ़ते हुए देखते हैं। प्यार, हवस और इच्छाओं को लेकर तीनों ही मुख्य किरदारों की अपनी बानगी है। हालांकि, बीच में एक समय ऐसा आता है जहां आपको लगता है कि आप इस कहानी का अंत जान गए हैं, लेकिन धीरज रखिए, क्योंकि इससे भी बड़ा कुछ होने ही वाला है। कनिका ढिल्लन ने फिल्म की कहानी में कई परतें जोड़ी हैं। इस लव स्टोरी में कई ट्विस्ट हैं, जिनके साथ कई तरह की भावनाएं मजूबती के साथ जुड़ी हुई हैं। तापसी पन्नू ने फिल्म में मजबूत और जिद्दी रानी का किरदार बखूबी निभाया है। उनके एक्सप्रेशंस इसमें जान डाल देते हैं। रानी के किरदार में बहुत कुछ है। बहुत उतार-चढ़ाव हैं, जिसे निभाना आसान नहीं था, लेकिन तापसी ने बड़े ही सहज अंदाज में इसे अपना बना लिया। तापसी ने रानी के किरदार को एक ही समय में कई आयाम दिए हैं। वह जिद्दी भी है। कामुक और मोहने की कला में माहिर भी। लेकिन फिर भी आपको उसे देखकर कभी उससे चिढ़ नहीं होगी। विक्रांत मैसी का किरदार एक सीधे-सादे लेकिन हमेशा मुस्कुराते रहने वाले रिशु का है। वह कम बोलता है। लेकिन उसकी आंखें बहुत कुछ कह जाती हैं। कनिका ने अपनी कहानी में हर किदार को बड़ी अच्छी तरह से जगह दी है। कहानी के जरिए इन किरदारों के पास खुद को बड़ा बनाने का पूरा मौका मिलता है। अनकना जोशी (Ankana Joshi) के लिखे डायलॉग्स भी मजेदार अनुभव देते हैं। हर्षवर्धन राणे () के पास करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। लेकिन जितना भी मिला है, उन्होंने उसके साथ न्याय किया है। फिल्म के दूसरे किरदारों में यामिनी दास (Yamini Das) ने रिशु की मां का किरदार निभाया है। वह फिल्म में कॉमेडी का तड़का लगाती हैं। अमित त्रिवेदी (Amit Trivedi) का म्यूजिक, जयकृष्ण गुम्मड़ी (Jayakrishna Gummadi) की सिनेमेटोग्राफी फिल्म को मजबूती देते हैं। 'हसीन दिलरूबा' में कई ऐसे मौके हैं, जब आपको यह ऊटपटांग या यकीन से परे लगेगी। लेकिन यह भी सच है कि हर दूसरे मौके पर थ्रिल पैदा करने वाले ट्विस्ट और डार्क लव स्टोरी के रूप में यह आपको बांधे रखती है।
from Entertainment News in Hindi, Latest Bollywood Movies News, मनोरंजन न्यूज़, बॉलीवुड मूवी न्यूज़ | Navbharat Times https://ift.tt/3jOQsbV

No comments:
Post a Comment