Hindi English News, Entertainment, Shopping, shopping offers, Shopping deals,lifestyle, bollywood, movies, state news, offers, Amazon,amazon offers,Latest news, showbiz, sport, comment, lifestyle, city, video and pictures from the Daily Express and Sunday Express newspapers and Express

Subscribe Us

test

Breaking

Post Top Ad

Your Ad Spot

Tuesday, August 4, 2020

सरकार की आलोचना करने पर अपहरण; 5 साल में 11 पत्रकार मारे गए, इनमें से 7 मौतें इमरान के कार्यकाल में

मारिया अबि-हबीबजुलाई के अंत में पाकिस्तान के इस्लामाबाद में पत्रकार मतीउल्लाह जान पत्नी को उनके स्कूल पहुंचाकर निकले ही थे कि कुछ लोग उन्हें उनकी कार से खींचकर अपनी गाड़ी में बैठाकर दूर ले गए। कुछ सादी वर्दी में थे, बाकी ने एंटी टेरर स्क्वॉड पुलिस की ड्रेस पहनी थी।

दो घंटे बाद स्कूल के गार्ड ने पत्नी को बताया कि जान की गाड़ी स्कूल के बाहर ही खड़ी है। चाबियां और फोन गाड़ी में ही थे। पत्नी ने तुरंत पुलिस को बुलवा लिया। सीसीटीवी फुटेज चेक कराने पर पता चला कि जान के अपहरण में पुलिस भी शामिल है। 12 घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। यह तो एक वाकया है।

पिछले साल नवंबर में ही सेना ने एक एक्टिविस्ट को हिरासत में लिया था

पाकिस्तान में 11 पत्रकारों ने पिछले 5 साल में संदिग्ध स्थिति में जान गंवाई है। इनमें से 7 तो इमरान खान के कार्यकाल में ही मारे गए। पिछले साल नवंबर में ही सेना ने एक एक्टिविस्ट को हिरासत में लिया था। जून में बताया गया उस पर एक गुप्त अदालत में केस चलाने की तैयारी है।

सालभर पहले पीएम इमरान ने कहा था कि पाकिस्तान की प्रेस दुनिया में सबसे आजाद प्रेस में से है। स्थानीय पत्रकारों का दावा है कि देश में मीडिया से जुड़े और मानव अधिकार की आवाज उठाने वाले लोगों को दबाया जाता है।

संपादकों पर दबाव डाला जाता है

संपादकों पर रिपोर्टरों को नियंत्रण में रखने के लिए दबाव बनाया जाता है। इसके अलावा सरकार उनके लाखों रुपए के विज्ञापन बिल भी अटका कर रखती है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया के प्रमुख उमर वारिच के मुताबिक, किसी को गायब करना एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। वह भी पीड़ित को चुप कराने के लिए नहीं बल्कि बाकी लोगों को डराने के लिए।

पाक सेना के जनरल सीधे तानाशाही के बजाय सरकार में मौजूद अपने नुमाइंदों से अपनी इच्छाएं पूरी करवाते हैं। पिछले सालभर में प्रमुख समाचार संस्थानों के पैसे रोककर उन्हें तबाह कर दिया गया। दर्जनों पत्रकारों को नौकरी से हटवाया गया।

भारी दबाव और नौकरी जाने के डर के कारण पत्रकार अब विवादास्पद विषयों से बचते लगे हैं। मतीउल्लाह जान की नौकरी भी इसलिए गई। अब वे यू-ट्यूब चैनल चलाते हैं। जिओ टीवी के पूर्व एंकर तलत हुसैन हों या जंग समूह के मीर शकील उर रहमान ऐसे ही दौर से गुजर रहे हैं।

- न्यूयॉर्क टाइम्स से विशेष अनुबंध के तहत



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
सालभर पहले पीएम इमरान ने कहा था कि पाकिस्तान की प्रेस दुनिया में सबसे आजाद प्रेस में से है। -फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gltC6Z

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Your Ad Spot