भगवान महावीर ने साढ़े 12 वर्ष तक घोर तपस्या की। भयंकर दु:ख सहन किया तब उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके पश्चात उन्होंने जिन शासन की स्थापना की। जिसमें साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका चार स्तम्भ मुख्य रहे। अपनी साधना से प्राप्त ज्ञान को उन्होंने हमारे कल्याण के लिए सौंप दिए। हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमें मनुष्य भाव के साथ जिनशासन भी प्राप्त हुआ। हमने मुफ्त में मिले इस मनुष्य जीवन एवं प्राप्त जिन शासन की कद्र नहीं कर इसका सदुपयोग नहीं किया। हमारी आदत बन गई है कि जो हमें प्राप्त हुआ उसका हमें वो भाव नहीं है, लेकिन जो प्राप्त नहीं हुआ उसकी शिकायत जरूर है। हम भौतिक सुख को प्राप्त करने के लिए सदैव लालायित रहते हैं लेकिन आध्यात्मिक सुख की लालसा हमें नहीं रहती है।
यह बात साध्वी अमित गुणाश्रीजी ने महावीर कॉलोनी स्थित सोनी निवास पर धर्मसभा में कही। अागे कहा हम लाड़ी, गाड़ी एवं वाड़ी यानी मकान की कामना करते हैं। लेकिन देव, गुरु और धर्म की प्राप्ति हो यह कामना नहीं करते हैं। अगर यह तीनों हमारे मन में बस जाएं तो हमारा कल्याण निश्चित है। भाव के बिना किया गया धर्म पुण्य दे सकता है लेकिन मोक्ष नहीं। सिर्फ जिनशासन ही ऐसा है जहां मात्र भावना से ही कल्याण संभव है। हम गुना अनुरागी बनेंगे तभी हमारा जिनशासन में प्रवेश होगा।
हमें जहां जहां भी गुण दिखे उसके प्रति अहो भाव आना चाहिए। उसकी प्रशंसा करना चाहिए और उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। अहो भाव के बिना सम्यक दर्शन की प्राप्ति नहीं होगी। धर्मसभा को साध्वी स्नेहाझराश्रीजी ने संबोधित किया।
बदनावर. महावीर काॅलाेनी में धर्मसभा करती साध्वी।
साेनी परिवार ने कामली अाेढ़ाकर संघ पूजा की
इसके पूर्व साध्वी मंडल श्री शंखेश्वर पुरम तीर्थ पहुंचा। जहां दर्शन वंदन किए। भोयरा वाला मंदिर के भी दर्शन कर कार्यक्रम के आयोजक शांतिलाल सुनील कुमार सोनी के निवास स्थान पहुंचे। जहां श्रीसंघ की नवकारसी हुई। अंत में सोनी परिवार की ओर से साध्वियाें काे कामली अाेढ़ा कर संघ पूजन किया। ज्ञात रहे 2 वर्ष साध्वी का नगर में चातुर्मास हाेकर धर्म चक्र तप की 84 दिन की ऐतिहासिक तपस्या हुई थी।
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