भोपाल .जापान की तर्ज पर वन विभाग ने शहर की अाबाेहवा काे शुद्ध करने की तैयारी शुरू कर दी है ताकि भाेपाल हर माैसम में ‘हरा भाेपाल शीतल भाेपाल’ बना रहे। दरअसल कम से कम जगह पर जंगल उगाने के लिए वन विभाग ने संभागायुक्त काे प्रस्ताव भेजा है। वन विभाग ने अहमदपुर नर्सरी में पायलट प्राेजेक्ट शुरू किया है। विभाग के अधिकारियाें का कहना है कि इस पद्धति से स्कूल काॅलेज, अतिक्रमण मुक्त हुई जगह और ग्रीन बेल्ट में पाैधराेपण किया जाए ताे शहर हर माैसम में हराभरा रह सकता है। इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि छाेटी सी जगह में मित्र समूह के पाैधे लगाए जाते हंै जाे तेजी से बढ़ते हैं।
अहमदपुर नर्सरी में .. चार साै वर्गमीटर में 79 प्रजातियाें के 1 हजार पाैधे राेपे, एक साल बाद बनेगा घना जंगल
इस तकनीक से 2 फीट चौड़ी और 30 फीट लंबी पट्टी में 100 से भी अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं। बहुत कम खर्च में पौधे को 10 गुना तेजी से उगाने के साथ 30 गुना ज्यादा घना बनाया जा सकता है। पौधों को पास-पास लगाने से इन पर खराब मौसम का असर नहीं पड़ता है और गर्मी में नमी नहीं कम होती और ये हरे-भरे रहते हैं।
मित्र पाैधे... हर्रा, बहेड़ा, अांवला, कुसुम,बेल जामुन, बीजा, अंजन, अमरूद, सीताफल, संतरा, माैसबी, अाम कराेंदा, मेहंदी, तुलसी, अश्वगंधा, गिलाेय,करंज, सतपर्णाी, चंदन सहित 79 प्रजाति के पाैधे एक साथ लगाए जा सकते हैं।
इन्हें साथ नहीं लगाया जा सकता... बड़, पीपल, साल, सागाैन शल्यपर्णाी, तिलवन, मैदा, सलैई, सहित 55 प्रजाति के पाैधे पास पास नहीं लगाए जा सकते। ये इन पाैधाें के नीचे पाैधे पनप नहीं पाते। इन्हें लगाते समय भी दाे पाैधाें के बीच में अंतर रखना पड़ता है।
बारिश की जरूरत नहीं: इस पद्धति से राेपे गए पाैधाें के लिए बारिश तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। एक दूसरे के सहयाेगी पाैधे हाेते हैं ताे पानी की जरूरत पूरा एक दूसरे के सहयाेग से पूरा कर लेते हैं।
संभागायुक्त ने पर्यावरण के प्रति लाेगाें काे जागरूक करने के लिए हरा भाेपाल शीतल भाेपाल का अभियान शुरू किया है। उनके काम काे अागे बढ़ाते हुए वन विभाग ने उन्हें मियावाकी पद्धति से पाैधराेपण कराने का प्रस्ताव भेजा है।-पीसी दुबे, एपीसीसीएफ, लाेक वानिकी अाैर अनुसंधान विस्तार
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