Hindi English News, Entertainment, Shopping, shopping offers, Shopping deals,lifestyle, bollywood, movies, state news, offers, Amazon,amazon offers,Latest news, showbiz, sport, comment, lifestyle, city, video and pictures from the Daily Express and Sunday Express newspapers and Express

Subscribe Us

test

Breaking

Post Top Ad

Your Ad Spot

Monday, December 2, 2019

बस याद साथ है, तेरी याद साथ है : जावेद अख्तर

भोपाल ( अनुलता राज नायर ) .इस दिसंबर की शुरुआत कुछ यूं हुई कि उससे बेहतर दिल कुछ और चाह ही नहीं सकता था। सर्दी के नाज़ुक कदमों की रुनझुन के बीच रवीन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच से मुख़ातिब थे एक बेहतरीन लेखक, शायर, गीतकार-जावेद अख्तर साहब। लेकिन वह एक अलग रंग रूप में भोपाल वालों से रूबरू थे। वो बात कर रहे थे अपने लिखे फ़िल्मी गीतों के पीछे छिपी कहानी की। और उनकी कहानी के बाद दो बेहद सुरीले गायक पार्थिव और जान्हवी उन गीतों को सुना कर शाम को रूमानी बना रहे थे।


जावेद साहब का बचपन भोपाल में बीता इसलिए यहां के लोगों का उनसे लगाव ज़रा गहरा है और वही हाल उनका भी है। प्रोग्राम का आगाज़ उन्होंने अपने पहले लिखे गीत की कहानी से किया। वो गीत जो उन्होंने 1981 में लिखा था, क्योंकि उसके पहले तो वो स्क्रिप्ट राइटर थे। फिल्मों में गीत लिखने के पहले वे कविताएं लिखते थे, पर उन्हें छपने नहीं भेजते थे। जब यश चोपड़ा जी ने अपनी फिल्म के लिए उनसे गाने लिखने को कहा तो जावेद अख्तर थोड़ा असहज थे और यश जी उनसे लिखवाना चाहते थे कि फिल्म का हीरो कवि का किरदार निभा रहा था। तब साहिर साहब की तबियत भी नासाज़ थी इसलिए जावेद अख्तर आप्शन ‘बी’ की तरह लाए गए। मगर जावेद साहब लिखना ही कहां चाहते थे, अजीबोग़रीब शर्ते रखीं क्योंकि यश जी को सीधे ना कैसे करते। और यश जी ने तो ज़िद्द ठान रखी थी। बहरहाल सुनने वालों को एक बेहद सुन्दर गाना सुनने को मिला। फिल्म थी सिलसिला और गीत था- देखा एक ख्व़ाब तो ये सिलसिले हुए....

मीटर, स्केल, गाने का कर्व जैसी अटकलों को पार करके आख़िर पटकथा लेखक, शायर, गीतकार बन गया।
इसके बाद की कहानी थी एक ऐसे गीत की जो आज भी बजता है तो दिल ज़रा सा ठहर कर उसे सुकून से सुन लेना चाहता है। वो गीत था फिल्म साथ-साथ का जिसे जगजीत सिंह जी ने गाया था। और बकौल जावेद साहब उन्होंने ये गीत नौ मिनट में और पूरी तरह नशे में चूर होकर लिखा था। तुमको देखा तो ये ख़याल आया…, हालांकि उन्होंने अपने प्रिय श्रोताओं को ये भी बताया कि अब उन्होंने वो सारे शगल छोड़ दिए हैं और ज़रा सी हंसी के साथ उन्होंने ये राज़ भी खोला कि नशे में कोई शायरी नहीं करता। नशे में सब अपनी तारीफ़ और दूसरों की बुराई के सिवा कुछ नहीं करते।
इन दो फ़िल्मों में बेहतरीन पोएटिक गीत लिखने के बाद इंडस्ट्री में लोगों को लगा ये हल्के फुल्के गीत नहीं लिख पाएंगे। जैसे एक ब्रांडिंग हो गई थी। मगर उन्होंने मिस्टर इंडिया का हवा हवाई लिख के सबको हैरान कर दिया और उसके गाने की शुरुआत चंद ऊलजलूल शब्दों से की। मेरे कान अगली कहानी सुनने के इंतज़ार में थे, कि कैसे बारामासा विरह गीत को ज़हन में रख कर उन्होंने तेज़ाब का एक-दो-तीन... गीत रचा था। तो पूरी शाम एक से एक मीठे गीतों के बनने की कहानी सुनी फिर उन गानों को शानदार लाइव बैंड के साथ सुना। थोड़ा झूमे…, जरा सा गाये, गुनगुनाए भी।

अपने लिखे गीतों को सुनाने के बाद जावेद साहब ने बड़ी मोहब्बत से अपने बच्चों का ज़िक्र किया और फिर उनके गीत सुनवाए... दिल चाहता है... इस मासूम सी तमन्ना के साथ शाम ख़त्म हुई…, पर ख़ुमारी अभी रहेगी कुछ दिन...

रास्ते में सोचा था एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...

अ पने फिल्मी गीतों के सफर को याद करते हुए जावेद अख्तर ने फिल्म 1942 ए लव स्टोरी के गीतों से जुड़े अनुभव को बताया- आरडी बर्मन इसके म्यूजिक डायरेक्टर थे। एक बड़ी मीटिंग हुई जिसमें सब तय किया गया, स्क्रिप्ट सुनाई गई। मैंने कहा एक जगह है जहां पर एक गाना बहुत अच्छा आ सकता है... हीरो साइकिल से जा रहा है, लड़की को बस में देखता है। इसके बाद तय हुआ कि कुछ दिनों बाद हम सब फिर बैठेंगे। तो उस दिन मुझे फोन आया कि सब आ गए हैं आप आ रहे या नहीं। तब मुझे याद आया... (कि गाना लिखना था)। मैंने सोचा क्या कहूंगा, कि मैं भूल गया? तब रास्ते में तय किया कि क्या लिखूंगा। मैं अंदर पहुंचा और मैंने कहा देखिए तीन दिन बहुत गौर करने के बाद आइडिया आया और वो नया है। पहले आप लोग समझ लें तब मैं लिखूंगा। आइडिया ये है कि - एक लड़की को देखा तो एेसा लगा..। यह एक लाइन मैंने रास्ते में सोची है, और इसके बाद कुछ नहीं होगा, सिर्फ फिल्म होगी। आरडी बर्मन ने कहा- यह तुम अभी लिख दो। मैंने पहला अंतरा वहीं बैठकर लिखा। उसके बाद उन्होंने आधा मिनट भी नहीं लिया और ट्यून बना ली। उसके बाद उन्होंने कहा ऐसे ही दो अंतरे और लिख दो।


कभी-कभी गाने की किस्मत होती है कि वो एक दम रिजेक्ट हो जाता है। एक फिल्म थी नमस्ते लंदन। उसका भी एक गाना था मैं जहां रहूं... जिसे लोगों ने राय दी कि न तो फ्लो है और कोई इस तरह के गाने नहीं सुनता। लेकिन ये गाना ही उस फिल्म का सबसे बड़ा हिट गाना बना। जब लोगों को चीजें समझ आ जाती हैं तब हमें पता चलता है कि यह अच्छी थी। ये गाने की किस्मत अच्छी थी कि इसे लोगों ने पसंद किया। (अनुलता राज नायर राइटर, पोएट क्रिटिक एसोसिएट क्रिएटिव हेड)



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Just remember, your relationship is with you: Javed Akhtar
Just remember, your relationship is with you: Javed Akhtar


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33HWoaB

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Your Ad Spot