स्वच्छता सर्वेक्षण में दो साल बाद नपा ने ट्रेंचिंग ग्रांउड की हालत सुधारी, अब गीले कचरे से भी बनाई जाएगी खाद
भास्कर संवाददाता| अशोकनगर
सैप्टिक टैंक से निकलने वाले वेस्ट का उपयोग खाद बनाने में शुरू हो गया है। नपा के ट्रेंचिंग ग्राउंड पर बनाए तीन टैंकों में खाद बनाई जा रही है। इसका प्रयोग पहले नपा अपने गार्डन में करेगी। एक तरफ बगैर खाद का पौधा तो दूसरी तरफ खाद का पौधा लगाकर इसकी उपयोगिता लोगों को बताकर इसकी बिक्री करते हुए नपा स्वच्छता के साथ अपनी आय भी बढ़ाएगी।
गीले व सूखे कचरे को नष्ट करने के लिए नपा नए-नए इनोवेटिव कदम तो उठा ही रहा है साथ ही अब सैप्टिक टैंक से खाद बनाने का काम शुरू हो गया है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर बनाए तीन मड टैंकों में खाद बनाकर इसका उपयोग सबसे पहले वहां बनने वाले पार्क में किया जाएगा। एक तरफ बगैर खाद का पौधा और दूसरी तरफ खाद का पौधा लगाने के बाद दोनों का डेमों जनता के बीच देकर खाद की उपयोगिता बताई जाएगी। इस जैविक खाद को बाद में लोगों को बेचकर नपा अपनी आय भी बढ़ाएगी।
नवाचार... तीन मड टैंको में बनाया जा रहा है खाद, नगरपालिका के खुद के बने खाद से राजस्व की इनकम तो बढ़ेगी साथ ही गंदगी भी होगी कम
सारी तैयारी स्वच्छता अभियान में होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए
दो सालों से स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार पीछे रहने के बाद इस बार नपा रैंक बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए ट्रेंचिंग ग्राउंड के ऊंचे कचरे के पहाड़ समतल कर पार्क बनाया जा रहा है। इसके लिए फिलहाल नपा के कर्मचारी गलियों और टॉयलेट से लेकर ट्रेंचिंग ग्राउंड तक दौड़ लगा रहे हैं। सीएमओ शमशाद पठान ने बताया कि यह कोशिश स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग की है।
गीले कचरे से भी बन रही जैविक खाद
ट्रेंचिंग ग्राउंड में गीले व सूखे कचरे का निपटान अलग-अलग किया जा रहा है। गीले कचरा से जैविक खाद बनाने की दो यूनिट लगाई गई है। इसमें गीले कचरा में गोबर और केमिकल मिलाकर इसको जो टैंक बनाए हैं उनमें रख देते हैं। खाद बनाने के लिए पूरी प्रक्रिया में 21 दिन लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्लास्टिक और सूखा कचरा को अलग निकालकर कबाड़ियों को बेचा जा रहा है।
फायदा... दुर्गंध पूरी तरह से गायब हो गई
ट्रेंचिंग ग्राउंड पर बदलाव के बाद दुर्गंध दूर होने के साथ हर कहीं फैंकने वाले कचरे को अब सिस्टम में रख रहे हैं। मैला का टैंक शोधन टैंक में जाता है। शोधन टैंक को तले से पाइप डालकर स्टोरेज टैंक में जोड़ा है। शोधन टैंक में सबसे नीचे बड़े-बड़े पत्थर, उसके ऊपर पत्थर-गिट्टी, फिर बड़ी और छोटी रेती, बालू रेत और सबसे ऊपर मिट्टी डाली गई है।
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