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Monday, December 2, 2019

आठवीं तक पढ़ीं... कम्प्यूटर सीखा, अब 25 समूह की 300 महिलाओं का हिसाब रखती हैं लैपटॉप में

बागली (नाथूसिंह सैंधव).कम्प्यूटर साक्षरता से महिलाएं सशक्त हो रही हैं। सबसे प्रेरक कहानी है चापड़ा के श्यामनगर की ममताबाई पति राजू शारदिया (35) की। ममताबाई ने कक्षा 8वीं तक ही पढ़ाई की है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से कम्प्यूटर सीख लिया। वे आज करीब 25 समूह की करीब 300 महिलाओं का हिसाब-किताब अपने लैपटॉप में रखती है।
ममताबाई शारदिया कक्षा आठवीं तक पढ़ाई करने के बाद घर के कामकाज में व्यस्त हो गई। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण ममताबाई वर्ष 2013 में क्षेत्र में चलने वाले समाज प्रगति सहयोग नामक संस्था से जुड़ गई। वह धीरे-धीरे संस्था द्वारा चलने वाले समूह से जुड़ी और उसमें काम करने लगी।


हालांकि जब सारे काम कम्प्यूटर से होने लगे तो ममताबाई ने भी कम्प्यूटर सीखने की ठान ली। वर्ष 2018 में कम्प्यूटर सीख गई। इसके बाद ममताबाई करीब 25 समूह में काम करने वाली करीब 300 महिलाओं का लेनदेन सहित अन्य सभी प्रकार का हिसाब-किताब अपने लैपटॉप में रखने लग गई। आज ममताबाई सारे काम लैपटॉप से कर रही है।


ममताबाई के परिवार की बात करें तो उनके पति राजू शारदिया मजदूरी करते हैं। इसके अलावा परिवार में 15 वर्षीय लड़का, 13 वर्षीय लड़की एवं सबसे छोटा एक और लड़का है। इनमें से लड़की और सबसे छोटा लड़का पढ़ाई
कर रहे हैं।

काम करने में परेशानी आई तो कम्प्यूटर सीखने की ठानी
ममताबाई ने बताया जब मैं समूह से सदस्य के रूप में जुड़ी थी तो मुझे कोई ज्यादा जानकारी नहीं थी। हालांकि बाद में धीरे-धीरे मेरा प्रमोशन हुआ और मैं समूह से अन्य महिलाओं को जोड़ना सहित अन्य काम करने लगी, लेकिन जब सभी काम कम्प्यूटर से होने लगे तो मुझे लगने लगा था अब मैं काम नहीं कर पाउंगी। मुझे वापस घर में ही काम करना पड़ेगा। तभी संस्था के संदीप परिहार ने मेरा हौसला बढ़ाते हुए मुझे कम्प्यूटर सीखने की सलाह दी। इसके बाद मैंने धीरे-धीरे कम्प्यूटर सीख लिया और आज सारा काम लैपटॉप पर ही कर रही हूं।

कम्प्यूटर सीखने की ऐसी ललक कि 68 साल की उम्र में कर लिया पीजीडीसीए
बागली की 78 वर्षीय विद्याबाई नरवरिया की कम्प्यूटर सीखने के जुनून की कहानी आश्चर्यचकित करने वाली है। उन्होंने 68 साल की उम्र में पीजीडीसीए कर लिया। विद्याबाई बताती हैं पति रामप्रसाद नरवरिया के निधन के बाद बेटे खेलेंद्र की दुर्घटना में मौत के बाद छोटे बच्चों को कोचिंग पढ़ाने लगी। इसी बीच पास में खुली कम्प्यूटर क्लास देखकर मन में कम्प्यूटर सीखने की इच्छा जगी। मैंने कम्प्यूटर क्लास जॉइन की। क्लास में छोटे बच्चे मेरा मजाक उड़ाते थे। हालांकि मन में कम्प्यूटर सीखने की ठान ली थी। धीरे-धीरे हिन्दी टाइपिंग, एमएस वर्ड सहित अन्य सॉफ्टवेयर सीखने के बाद वर्ष 2008-09 में राजीव गांधी कम्प्यूटर साक्षरता मिशन से पीजीडीसीए की परीक्षा दी और उसमें पास भी हो गई। अब विद्याबाई अपने घर पर ही कम्प्यूटर से संबंधित कई



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समूह की महिलाओं के साथ लेपटॉप पर कार्य करती ममताबाई।
विद्याबाई नरवरिया।


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